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Yogeshwar Mandir

“ योगेश्वर “ दो शब्दों से मिल कर बना है। 

योगी और ईश्वर अर्थात जो योगियों का ईश्वर है उसे योगेश्वर कहा जाता है । इस शब्द को गहराई से समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि योग क्या है ?

परमात्मा से आत्मा की उत्पत्ति होती है और आत्मामय बनने  अथवा आत्म स्थिति को प्राप्त करने के लिए योग और अध्यात्म की आवश्यकता होती है । 

योग के 8 चरण होते हैं जिसे अष्टांग योग कहते हैं । गीता में कुछ जगह योगेश्वर और महेश्वर शब्द का प्रयोग किया गया है इन दोनों का अर्थ एक ही है । श्री कृष्ण ईश्वर के भी ईश्वर अर्थात महेश्वर ,और योग के द्वारा अंतिम उपलब्धि को प्राप्त योगियों के भी आराध्य है इसलिए उन्हें योगेश्वर कहा जाता है ।

भाष्यकारों और पुराणकारों ने श्रीकृष्ण अवतार का जो भव्य महिमामंडन किया है, वह न केवल भारतीय अध्यात्म परंपरा में बेजोड़ है, बल्कि विश्व के तमाम महाकाव्यात्मक संसार में भी श्रीकृष्ण का चरित्र ही सर्वाधिक रसपूर्ण और कलात्मक है। 

श्रीकृष्ण ने अपने सम्पूर्ण जीवन काल में इन्द्रिय सुखों पर काबू करने और समस्त संसार को निष्काम कर्म का संदेश दिया है। जो सभी वेद पुराणों का सार तत्व हैं। 

किन्तु अधिकांश सनातन धर्म अनुयायी जन द्वारकाधीश योगेश्वर श्रीकृष्ण को छोड़कर, पार्थसारथी-योगेश्वर श्रीकृष्ण को भूलकर  माखनचोर कृष्ण के पीछे पड़े हैं। लोग श्रीकृष्ण के ‘विश्वरूप’ को भी नहीं जानते।  उन्हें तो ‘राधा माधव’ वाली छवि ही भाती है।

संस्कृत के भागवतपुराण-महाभारत, हिंदी के प्रेमसागर-सुखसागर और गीत गोविंदं तथा कृष्ण भक्ति शाखा के अष्टछाप-कवियों द्वारा वर्णित कृष्ण-लीलाओं के विस्तार अनुसार ‘श्रीकृष्ण’ इस भारत भूमि पर-लौकिक संसार में श्री हरी विष्णु के सोलह कलाओं के सम्पूर्ण अवतार हैं । 

वे न केवल साहित्य, संगीत, कला, नृत्य और योग विशारद हैं । अपितु वे इस भारत भूमि पर आम लोगों के लिए लड़ने वाले योद्धा भी हैं , जिन्होंने इंद्र इत्यादि जैसी दैवीय शक्तियों या ताकतवर लोगों के अलावा कई राजाओं के विरुद्ध भी  शंखनाद किया था।

किन्तु खेद की बात यह है कि आज  श्रीकृष्ण के इस रूप को भूलकर लोग उनकी बाल छवि वाली मोहनी मूरत पर ही फि‍दा होते रहते हैं । 

श्रीकृष्ण ने ‘गोवर्धन पर्वत क्यों उठाया ?

यमुना नदी तथा गायों की पूजा के प्रयोजन क्या था ?

काली नाग को क्यूँ नाथा ?

रास क्यूँ रचाया ?

इन सवालों पर ना कोई चर्चा करना चाहता हैं और ना ही सुनना चाहता हैं।

यदि गहराई से सोचा जाए तो 

इन सवालों का एक ही उत्तर है कि श्रीकृष्ण प्रकृति और मानव समेत तमाम प्रणियों के शुभ चिंतक हैं।

श्रीकृष्ण ने कर्म से, ज्ञान से और बचन से मनुष्यमात्र को नई दिशा दी है ।

उन्होंने विश्व को कर्म योग और भौतिकवाद से जोड़ा , रूढ़िवादिता एवं पाखण्ड के खिलाप आवाज उठायी , लोंगों को जागृत किया । शायद इसलिए उनका चरित्र विश्व के तमाम महानायकों में सर्वश्रेष्ठ है।

अब समय आ गया श्री कृष्ण के योगेश्वर रूप को  घर घर , जन जन में प्रतिष्ठित करने का। 

हमने कृष्ण के साथ बहुत अन्याय किया हैं उनके विराटतम स्वरूप को भूल कर केवल बाल रूप में ही बाँध दिया हैं। 

लेकिन अब और नही , सभी सनातनियों को अब एक जुट होकर पुनः श्री कृष्ण के उस योगेश्वर रूप को जानना हैं। 

और जिस बृज में उन्होंने योग , अध्यात्म एवं कर्म का सिधांत प्रतिपादित किया  उसी बृज भूमि में एक दिव्य एवं भव्य योगेश्वर मंदिर की स्थापना करनी हैं।

जहाँ योगेश्वर श्री कृष्ण के सम्पूर्ण चरित्र को गहराई से जाना जा सके। 

64 कलाओं सभी विद्याओं का प्रशिक्षण प्राप्त कीया ज़ा सके। 

नवधा भक्ति , अष्टांग योग .. आदि की शिक्षा ग्रहण की ज़ा सके। 

बृज धाम वृंदावन में बनने ज़ा रहें विश्व के प्रथम योगेश्वर मंदिर निर्माण का हिस्सा बनें।  

एवं मंदिर निर्माण के लिये भूमि दान देकर  योगेश्वर श्री कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा भक्ति रूपी पुष्प समर्पित करें। 

योगेश्वर मंदिर के लिये भूमि दान करने एवं अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये सम्पर्क करें :- 

07089500951 , 07089500981

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“Yogeshwar” is made up of two words.

Yogi and God i.e. the one who is the God of Yogis is called Yogeshwar.

To understand this word deeply, it is necessary to know what is yoga?

The soul originates from God and to become soulful or to attain the soul state, yoga and spirituality are required.

There are 8 stages of yoga which are called Ashtanga Yoga. At some places in Geeta the words Yogeshwar and Maheshwar have been used, both of them have the same meaning. Shri Krishna is also the God of God i.e. Maheshwar, and is also worshiped by the yogis who have achieved the ultimate achievement through Yoga, hence he is called Yogeshwar.

The grand glorification of Shri Krishna’s incarnation by the commentators and Puranas is unmatched not only in the Indian spiritual tradition, but in all the epic worlds of the world, the character of Shri Krishna is the most interesting and artistic.

Throughout his life, Shri Krishna has given the message of controlling sensual pleasures and selfless action to the entire world. Which is the essence of all Vedas and Puranas.
But most of the followers of Sanatan Dharma, leaving aside Jan Dwarkadheesh Yogeshwar Shri Krishna, have forgotten Parthasarthi-Yogeshwar Shri Krishna and are following Makhan-thief Krishna. People do not even know the ‘universal form’ of Shri Krishna. He likes only the image of ‘Radha Madhav’.

According to the details of Krishna’s pastimes described in Sanskrit’s Bhagavata Purana-Mahabharata, Hindi’s Premsagar-Sukhsagar and Geet Govinda and Ashtachhap-poets of Krishna Bhakti branch, ‘Shri Krishna’ is the complete incarnation of the sixteen arts of Shri Hari Vishnu in the worldly world on this land of India. Are .
He is not only an expert in literature, music, art, dance and yoga. But he is also a warrior fighting for the common people on this land of India, who raised the conch shell against many kings besides divine powers or powerful people like Indra etc.

but the sad thing is
That today, forgetting this form of Shri Krishna, people continue to fall in love with his childish idol Mohini.

Why did Shri Krishna lift Govardhan Mountain?
What was the purpose of worshiping Yamuna river and cows?
Why was the black snake tied?
Why composed the Raas?
No one wants to discuss nor listen to these questions.
If we think deeply
There is only one answer to these questions that Shri Krishna is a well wisher of all living beings including nature and humans.
Shri Krishna has given a new direction to mankind through his actions, knowledge and words.
He connected the world with Karma Yoga and materialism, raised his voice against conservatism and hypocrisy, and awakened people. Perhaps that is why his character is the best among all the superheroes of the world.

Now the time has come to establish the Yogeshwar form of Shri Krishna in every house and among the people.

We have done a lot of injustice to Krishna by forgetting his most colossal form and binding him only in the form of a child.
but not anymore
Now all the Sanatanis have to unite together and know that Yogeshwar form of Shri Krishna again.
And a divine and grand Yogeshwar temple has to be established in the same Brij land where he propounded the theory of Yoga, spirituality and karma.
Where the complete character of Yogeshwar Shri Krishna can be known in depth.
One can get training in all the 64 arts and sciences.
One can learn the teachings of Navadha Bhakti, Ashtanga Yoga etc.

Be a part of the construction of the world’s first Yogeshwar temple which is going to be built in Brij Dham Vrindavan.
And by donating land for the construction of the temple, dedicate flowers in the form of devotion to Yogeshwar Shri Krishna.

To donate land for Yogeshwar temple and get more information, contact :-

07089500951, 07089500981

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