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नास्तिक की भक्ति

नास्तिक की भक्ति

प्रेरक प्रसंग : नास्तिक की भक्ति

हरि राम नामक आदमी शहर में एक मेडिकल दुकान का मालिक था।
वह इस पेशे को बड़े ही शौक से बहुत ही निष्ठा से करता था।
पर उसे भगवान पर कोई भरोसा नहीं था
वह एक नास्तिक था,

एक दिन उसके दोस्त दुकान में आए और अचानक बहुत जोर से बारिश होने लगी, बस फिर क्या, सब दोस्त मिलकर ताश खेलने लगे।

तभी एक छोटा लड़का उसके दूकान में दवाई लेने आया।
उस लड़के ने कहा- “जी मुझे दवाइयाँ चाहिए, मेरी माँ बहुत बीमार है, उनको बचा लीजिए ।
उस लड़के की पुकार सुनकर ताश खेलते-खेलते ही हरिराम ने अनमने मन से अपने अनुभव से अंधेरे में ही दवाई की एक शीशी को झट से निकाल कर उसने लड़के को दे दिया।
थोड़ी देर बाद लाइट आ गई और वह यह देखकर दंग रह गया कि उसने दवाई की शीशी समझकर उस लड़के को दिया था,
वह चूहे मारने वाली जहरीली दवा है,

अब उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
उस लड़के के बारे में वह सोच कर तड़पने लगा।
सोचा यदि यह दवाई उसने अपनी बीमार माँ को देगा, तो वह अवश्य मर जाएगी।
उस लड़के का पता ठिकाना भी तो वह नहीं जानता।
कैसे उस बीमार माँ को बचाया जाए?

घबराहट में वह इधर-उधर देखने लगा।
पहली बार उसकी दृष्टि दीवार के उस कोने में पड़ी, जहाँ उसके पिता ने जिद्द करके भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर दुकान के उदघाटन के वक्त लगाई थी,
उसने भी आज पहली बार कमरे के कोने में रखी उस धूल भरे कृष्ण की तस्वीर को देखा और आंखें बंद कर दोनों हाथों को जोड़कर वहीं खड़ा हो गया।
थोड़ी देर बाद वह छोटा लड़का फिर दुकान में आया।
हरिराम को पसीने छूटने लगे।
पसीना पोंछते हुए उसने कहा- क्या बात है बेटा तुम्हें क्या चाहिए ?
लड़के की आंखों से पानी छलकने लगा। उसने रुकते-रुकते कहा- बाबूजी…बाबूजी माँ को बचाने के लिए मैं दवाई की शीशी लिए भागे जा रहा था, घर के करीब पहुँच भी गया था, बारिश की वजह से ऑंगन में पानी भरा था और मैं फिसल गया। दवाई की शीशी गिर कर टूट गई।
क्या आप मुझे वही दवाई की दूसरी शीशी दे सकते हैं ?

हाँ! हाँ ! क्यों नही!
लो,यह दवाई!
जाओ जल्दी करो, और हाँ अब की बार ज़रा संभल के जाना।

अब हरिराम की जान में जान आई।
भगवान को धन्यवाद देता हुआ अपने हाथों से उस धूल भरे तस्वीर को लेकर अपनी धोती से पोंछने लगा और अपने सीने से लगा लिया।

मनुष्य चाहे नास्तिक हो परंतु जब वो परेशानी में होता है और सब जगह से वो असफल होता है तो फिर उससे भगवान की याद आती ही है

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