Guru Grah Seva Dham

“बौद्धिक पतन”

“बौद्धिक पतन”
पेठा, बेसन के लड्डू, गाजर का हलवा, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, जलेबी, कलाकंद खोपरा पाक, खीर, नानखटाई , 100 तरह के पेडे, काजू कतरी, रसमलाई, सोहन हलवा, बूंदी, बरफी, 50 तरह के श्रीखंड, पूरण पोली, आम रस, दुधि हलवा, गोल पापड़ी, मोहन थाल, सक्कर पारा , तिलगुड़ के लड्डू, मुम्बई आइस हलवा, चीकू बर्फी, चूरमा लड्डू, घेबर, हलवा , खजूर पाक, मगज पाक, रेवडी……..जैसी
😊हज़ारो शुद्ध मीठी चीजे जिस देश के लोग बनाना और खाना जानते हो,
उस देश में 🍫चॉकलेट देकर या 🎂केक काट कर कुछ मीठा हो जाये कह के करोडों की 🍫चॉकलेट और 🍰केक बेच के, विदेशी कम्पनियों का हमारा करोडो रूपया लूट लेना, ये दर्शाता है ।
कि…….. हमारा कितना बौद्धिक पतन हो गया है ।
🌞अतः आइए अब पुनः अपनी संस्कृति की ओर लौटे और संकल्प ले कि आज के बाद कभी भी किसी भी उत्सव में या त्यौहार में या जन्मदिन में या शादी कि सालगिरह में 🎂केक या 🍫चौकलेट को महत्व ना देते हुए केवल और केवल भारतीय पकवानों एवं मिठाइयों का ही प्रयोग करेंगे ।
🙏बहुत हो गया आधुनिकता का ढोंग , इस आधुनिकता ने हमे सिवाय बीमारी , लाचारी, और बेरोजगारी के कुछ नहीं दिया ।
🚩भारत के प्राचीन विज्ञान और संस्कृति को अपनाए देश को संवृद्धि बनाए ।
😊आपको यह प्रसंग कैसा लगा और आपने इस प्रसंग से क्या सीखा ?
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