Guru Grah Seva Dham

रात 12 बजे जन्मदिन क्यूँ ना मनाए

रात 12 बजे जन्मदिन क्यूँ ना मनाए

रात 12 बजे मनाते हैं जन्मदिन तो हो जाएं सावधान

 

एक अजीब सी प्रथा इन दिनों चल पड़ी है वो है ..रात 12 बजे शुभकामनाएं देने और जन्मदिन मनाने की।
लेकिन क्या आपको पता है
भारतीय शास्त्र ज्ञान के अनुसार ऐसा करना कितना गलत है ।

आजकल किसी का बर्थडे हो, शादी की सालगिरह हो या फिर कोई और अवसर,
रात के बारह बजे केक काटना लेटेस्ट फैशन बन गया है।

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग अपना जन्मदिन 12 बजे यानि निशीथ काल ( प्रेत काल) में मनाते हैं ।
निशीथ काल रात्रि का वह समय है
जो समान्यत: रात 12 बजे से रात 3 बजे की बीच होता है। आमजन इसे मध्यरात्रि या अर्ध रात्रि काल कहते हैं।
शास्त्रनुसार यह समय अदृश्य शक्तियों, भूत व पिशाच का काल होता है। इस समय में यह शक्ति अत्यधिक रूप से प्रबल हो जाती हैं।

हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं, किंतु बहुधा हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं
जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं। जन्मदिन की पार्टी में अक्सर ऐसा होता है।
ऐसे प्रेतकाल में केक काटकर, मदिरा व मांस का सेवन करने से अदृश्य शक्तियां व्यक्ति की आयु व भाग्य में कमी करती हैं और दुर्भाग्य उसके द्वार पर दस्तक देता है।

साल के कुछ दिनों को छोड़कर जैसे दीपावली, 4 नवरात्रि, जन्माष्टमी व शिवरात्रि पर निशीथ काल शुभ प्रभाव देता है
जबकि अन्य समय में अशुभ प्रभाव देता है।

शास्त्रों के अनुसार रात के समय दी गई शुभकामनाएं अशुभ फल देती हैं।
और सनातन धर्म के अनुसार अग्नि को बुझा कर उत्सव मनाना अंधेरे के देवता असुर का आवाहन करने के बराबर माना गया है।

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही होती है और यही समय ऋषि-मुनियों के तप का भी होता है।
इसलिए इस काल में वातावरण शुद्ध और नकारात्मकता विहीन होता है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय होने के बाद ही व्यक्ति को शुभकामनाएं देना चाहिए ।

क्योंकि रात के समय वातावरण में रज और तम गुणों की मात्रा अत्याधिक होती है और उस समय दी गई बधाई या शुभकामनाएं फलदायी ना होकर अनिष्टकारी बन जाती हैं।

अतः अपनी संस्कृति को समझे, पाश्चात्य संस्कृति की होड़ में अपना अनर्थ ना करें ।

😊आपको यह प्रसंग कैसा लगा कृपया अपने विचार हमे अवश्य बताए ।

Leave a reply