Guru Grah Seva Dham

प्रसन्नता का राज

प्रसन्नता का राज

प्रेरक प्रसंग : प्रसन्नता का राज

👤एक व्यक्ति एक दिन काम पर नहीं गया…..
मालिक ने,सोचा इस कि तनखा बढ़ा दी जाये तो यहऔर दिल लगा के काम करेगा…..
और उसकी तनखा बढ़ा दी….
अगली बार जब उसको तनखा से ज़्यादा पैसे दिये तो वह कुछ नही बोला और चुपचाप पैसे ले के चला गया ।

कुछ महीनों बाद वह फिर कुछ दिन के लिऐ काम पर नहीं गया …..
मालिक को बहुत ग़ुस्सा आया…..
मालिक ने सोचा इसकी तनखा बढ़ाने का क्या फायदा हुआ,
यह नहीं सुधरेगाऔर उस ने बढ़ी हुई
तनखा कम कर दी ।
और इस बार उसको पहले वाली
तनखा ही दी……
पर वह इस बार भी चुपचाप ही रहा और कुछ नहीं बोला….

तब मालिक को बड़ा आश्चर्य हुआ….
मालिक ने पूछा कि जब मैने तुम्हारे काम पर ना आने के बाद तुम्हारी तनखा बढा कर दी थी ,
तुम तब भी कुछ नही बोले,
और आज तुम्हारे फिर से काम पर ना आने के कारण तुम्हारी तनखा कम कर के दी फिर भी तुम खामोश ही रहे…..!!

इस की क्या वजह है..?
उसने जवाब दिया….
मालिक जब मै मैने पहली बार काम पर नहीं आया था ।
तो मेरे घर एक बच्चा पैदा हुआ था….!!
आपने मेरी तन्खाह बढ़ा कर दी तो मै
समझ गया…..
परमात्मा ने उस बच्चे के पोषण का हिस्सा भेज दिया है……
और जब मैं दूसरी बार काम पर नहीं आया तो उस समय मेरी माता जी का निधन हो गया था…
और जब आप ने मेरी तन्खाह कम दी तो मैने यह मान लिया की मेरी माँ अपने हिस्से का
अपने साथ ले गयीं…..

फिर मै इस तनख्वाह की ख़ातिर क्यों सुखी या दुःखी होने लगा ।

संसार में सभी जीव अपने भाग्य का ही खातें हैं ।
जिसके भाग्य में जितना आना या जाना लिखा हुआ हैं, वह होके रहेगा ।
फिर परेशान होने से क्या लाभ ॥

👥अगर कोई पूछे जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया,
तो बेशक कहना, जो कुछ खोया वो मेरी
नादानी थी ।
और जो भी पाया वो प्रभु की
मेहरबानी थी ॥
खुबसूरत रिश्ता है मेरे और भगवान के बीच ।
ज्यादा मैं मांगता नहीं ,
और कम वो देता नहीं…..

आपको यह प्रसंग कैसा लगा कृपया अपने विचार हमे अवश्य बताए ।

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