प्रेरक प्रसंग : गृह क्लेश कैसे खत्म हो?
एक ब्राह्मण रोज सत्संग किया करते थे ।
दूर-दूर से लोग उनकी बात सुनने आते थे । एक दिन सत्संग खत्म होने पर भी एक आदमी बैठा ही रहा ।
ब्राह्मण ने इसका कारण पूछा तो वह बोला, मुझे आपसे कुछ पूछना है ।
मैं जानना चाहता हूं कि….
मेरे यहां गृह क्लेश क्यों होता है और वह कैसे दूर हो सकता है ?
ब्राह्मण थोड़ी देर चुप रहे, फिर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा, ‘लालटेन जलाकर लाओ’ । ब्राह्मण की पत्नि लालटेन जलाकर ले आई । वह आदमी हैरान हो कर देखता रहा । सोचने लगा
कि इतनी दोपहर में ब्राह्मण ने लालटेन क्यों मंगाई ?
थोड़ी देर बाद ब्राह्मण फिर बोले,
‘कुछ मीठा दे जाना’
इस बार उनकी पत्नी मीठे के बजाय नमकीन देकर चली गई ।
उस आदमी ने सोचा कि यह तो शायद पागलों का घर है ।
मीठा के बदले नमकीन, दिन में लालटेन ।
वह बोला, ‘पंडित जी, मैं चलता हूं ।’
ब्राह्मण ने पूछा, आपको अपनी समस्या का समाधान मिला या अभी कुछ शक बाकी है ?
वह व्यक्ति बोला, मेरी समझ में कुछ नहीं आया ।
ब्राह्मण ने कहा,
जैसे मैंनें लालटेन मंगवाई तो मेरी घरवाली कह सकती थी कि तुम क्या सठिया गए हो । इतनी दोपहर में लालटेन की क्या जरूरत । लेकिन नहीं, उसने सोचा कि जरूर किसी काम के लिए लालटेन मंगवाई होगी ।
और जब मैने मीठा मंगवाया तो नमकीन देकर चली गई ।
मैंनें भी सोचा कि हो सकता है घर में कोई मीठी वस्तु न हो ।
यही सोचकर मैं भी चुप रहा ।
इसमें तकरार क्या ?
आपसी विश्वास बढ़ाने और तकरार में न फंसने से मुश्किल हालात अपने आप दूर हो जाते हैं ।
उस आदमी को हैरानी हुई, वह समझ गया कि ब्राह्मण ने यह सब उसे बताने के लिए किया था ।
ब्राह्मण ने फिर कहा,
गृहस्थी में आपसी विश्वास से ही तालमेल बनता है । आदमी से गलती हो तो औरत संभाल ले और औरत से कोई त्रुटि हो जाए तो पति उसे नजर अंदाज कर दे,
यही गृहस्थी का मूलमंत्र है ।
और यही गृहक्लेश खत्म करने का मुख्यसूत्र भी हैं ॥
😊आपको यह प्रसंग कैसा लगा कृपया अपने विचार हमें अवश्य बताए ।
👏आपके विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं ॥