सीता जी के तिनके का रहस्य
📚रामायण में सुंदरकाण्ड के प्रसंग में आता हैं ।
सीता जी एक तिनके की ओर देखते हुए रावण से बात करती हैं ।
आखिर उस तिनके का क्या रहस्य हैं ?
तृन धरि ओट कहति बैदेही।
सुमिरि अवधपति परम सनेही॥
😊आइए आपको बताते हैं ।
जब विवाह के बाद प्रथम वार सीता जी आयोध्या आयीं तो जैसे की एक प्रथा है की
नव वधू जब ससुराल आती है तो उस नववधू के हाथ से कुछ मीठा पकवान बनवाया जाता है,
ताकि जीवन भर रिश्तों में मिठास बनी रहे !
इसलिए माँ सीता जी ने उस दिन अपने हाथो से घर पर खीर बनाई ।
समस्त परिवार एक साथ भोजन के लिए बैठा माँ सीता ने सभी को खीर परोसना शुरू किया, और भोजन शुरू
होने ही वाला था की ज़ोर से एक हवा का झोका आया और राजा दशरथ जी की खीर पर एक छोटा सा घास का तिनका गिर गया ।
माँ सीता जी ने उस तिनके को देख लिया, लेकिन अब खीर मे हाथ कैसे डालें ये
प्रश्न आ गया, माँ सीता जी ने दूर से ही उस तिनके को घूर कर जो देखा, तो वो तिनका जल कर राख की एक
छोटी सी बिंदु बनकर रह गया ।
सीता जी ने सोचा अच्छा
हुआ किसी ने नहीं देखा, लेकिन राजा दशरथ माँ सीता जी के इस चमत्कार को देख रहे थे, फिर भी दशरथ जी चुप रहे और अपने कक्ष मे चले गए ।
और सीता जी को बुलवाया !
और बोले मैंने आज भोजन के समय तुम्हारे चमत्कार को देख लिया था ।
लेकिन बेटी आज मुझको एक वचन दो कि जिस नजर से आज उस तिनके को देखा था उस नजर से अपने शत्रु को भी कभी नहीं देखोगी ।
और सीता जी ने वचन दिया ।
इसीलिए माँ सीता के सामने
जब भी रावण आता था तो वो उस घास के तिनके को उठाकर दशरथ जी की बात याद कर लेती थी ।
बस यही है उस तिनके का रहस्य !
माता
सीता जी चाहती तो रावण को एक ही पल में राख़ कर सकती थी
लेकिन राजा दशरथ जी को दिये वचन की
वजह से वो शांत रही !
जय श्री राम
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