योगेश्वर श्री कृष्ण
आज संसार में ज्यदातर भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप एवं बाल लीलाओं का प्रचार प्रसार ज्यादा हैं ।
लेकिन आज के दौर में श्री कृष्ण के योगेश्वर स्वरूप को समझने की आवश्यकता हैं ।
आज समाज दिन प्रति दिन विनाश की ओर बड़ा चला जा रहा हैं । कहा तक कहे मानव ने अपने स्वार्थ बस भोजन, जल, वायु , आकाश , भूमि सब को दूषित कर दिया हैं । जिसका परिणाम आज हम सब के सामने हैं।
” प्रकृति, संस्कृति , संस्कार और शास्त्र “
के प्रति समाज की अरुचि होती जा रही हैं ।
यही कारण हैं कि आज संपूर्ण विश्व को भिन्न भिन्न प्रकार कि महामारियों का सामना करना पड़ रहा हैं ।
भगवान श्री कृष्ण ने अपने संपूर्ण जीवन काल में अपनी लीलाओं के द्वारा अपनी वाणी के द्वारा इन्ही चारों को बचाने की और संभाल के रखने की बात कही हैं ।
1- ” प्रकृति ” गोवर्धन पूजा के रूप में प्रकृति को बचाने का संकेत किया ।
2- ” संस्कृति ” सब कुछ जानते हुए भी गुरुकुल जा कर विध्या अध्ययन कर के संस्कृति को बचाने का संकेत किया ।
3- ” संस्कार ” संपूर्ण जीवन काल में अपने से उम्र में बड़े लोगों का सम्मान कर के संस्कार को बचाने का संकेत किया ।
4- ” शास्त्र ” युद्ध भूमि में खड़े होकर गीता के जैसा उपदेश कर के शास्त्र को बचाने का संकेत किया ।
🙏अतः आप सभी से विनम्र नेवेदन हैं ।
आइए हम सब भी भगवान श्री कृष्ण की बतायी इन चारों बातों को अपने जीवन में अपनाकर अपने एवं संपूर्ण जगत के कल्याण की ओर कदम बढ़ाए ।
🌞आप सब भी परम रसिक श्रध्देय
श्री हितेन्द्र कृष्ण जी महाराज जी के साथ जुड़ कर अपने परिवार को प्राचीन भारत के विज्ञान एवं शास्त्र से जोड़ कर एक दिव्य एवं अद्भुत आनंद की अनुभूति प्राप्त कर सकतें हैं ।
एवं अपने आप को एवं अपने परिवार को भविष्य में आने वाली भयंकर विपत्तियों से बचा सकतें हैं ॥
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